PCOD यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज महिलाओं में होनेवाली आम समस्या बन गई है। इस बीमारी में हॉर्मोन्स के कारण ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट यानी गांठ हो जाती हैं। इन सिस्ट के कारण महिलाओं में बड़े स्तर पर हॉर्मोनल बदलाव होने लगते हैं। क्योंकि ये सिस्ट पीरियड्स और प्रेग्नेंसी दोनों को डिस्टर्ब करती हैं

क्यों होती है पीसीओडी की समस्या?
हालांकि इस बीमारी की मुख्य वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि लाइफ में तेजी से बढ़ा स्ट्रेस, बदला हुआ लाइफस्टाइल, लेट नाइट तक जागना और फिर दिन में देर तक सोना, स्मोकिंग और ड्रिकिंग में महिलाओं का बढ़ता शौक आदि पीसीओडी के मुख्य कारण हो सकते हैं। क्योंकि इनसे महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर गड़बड़ा जाता है। वहीं, वंशानुगत रूप से भी यह समस्या होती है।
उम्र से भी है पीसीओडी का संबंध
पहले सिर्फ लेट उम्र में शादी करने के कारण पीसीओडी की समस्या का महिलाओं को सामना करना पड़ता था लेकिन अब 15 से 16 साल की उम्र की लड़कियां भी इस दिक्कत से ग्रसित हो रही हैं। इनमें पीसीओडी के लक्षण चेहरे और शरीर के अंगों पर घने बाल उगने, पीरियड्स के समय बहुत अधिक दर्द होने, हेवी ब्लीडिंग होने या समय पर पीरियड्स ना होने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
बॉडी पर पीसीओडी का असर
- पीसीओडी की समस्या होने पर महिलाओं को गर्भधारण करने में तो दिक्कत आती है।
- साथ ही वे हॉर्मोनल इंबैलंस के कारण भावनात्मक रूप से बहुत अधिक उथल-पुथल का सामना करती हैं।
- इस बीमारी में वेट तेजी से बढ़ने लगता है जबकि कुछ महिलाओं को हर समय कमजोरी की शिकायत रहती है।
- पीरियड्स में किसी को कम ब्लीडिंग होती है तो किसी को बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है।
आपका डेली रुटीन हो ऐसा
- जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि पीसीओडी की समस्या हॉर्मोन्स से संबंधित है। इसलिए आपको अपनी लाइफस्टाइल को इस तरह मैनेज करना होगा कि हॉर्मोन्स का सीक्रेशन सही तरीके से हो सके।
- आप अपनी डायट का ध्यान रखें और मौसम के अनुसार ही खान-पान अपनाएं।
- प्रकृति के साथ जुड़ें। यानी वॉक, रनिंग करें और पार्क में टहलें। रोज एक्सर्साइज करें।
- खूब पानी पिएं और अच्छी किताबें पढ़ें। इससे तन और मन दोनों को शांत रखने में मदद मिलती है।
आपकी डायट होनी चाहिए ऐसी
- जो महिलाएं पीसीओडी की समस्या से जूझ रही हैं, उन्हें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इन्हें घर का बना शुद्ध भोजन ही करना चाहिए। जितना अधिक हो सके प्रॉसेस्ड फूड से दूर रहें।
- फाइबर बेस्ड डायट लें। इसके लिए अपने खाने में सब्जियां, दालें, दलिया आदि शामिल करें।
- कोशिश करें कि आपका भोजन कम से कम तेल में बना हो। ऑइली फूड आपको नुकसान दे सकता है।
- चाय-कॉफी के जरिए कैफीन लेना बंद कर दें। ऐसा संभव ना हो तो दिन में केवल एक या दो बार ही इनका उपयोग करें। एल्कोहॉल और शुगर की मात्रा को भी बहुत सीमित कर दें।
- जंक फूड से दूरी बना लें। इसकी जगह अपनी डायट में ड्राई फ्रूट्स, नट्स, दूध, दही, छाछ, फ्रूट्स और फिश जैसी हेल्दी चीजें शामिल करें।
किन कारणों से होता है पीसीओडी
- आनुवंशिक : वैसे तो हार्मोंस में असंतुलन को इस बीमारी की मुख्य वजह माना गया है, लेकिन अगर किसी की मां को यह समस्या रही है, तो आशंका है कि उनकी बेटी भी इसकी चपेट में आ सकती है। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है ।
- पुरुष हार्मोन : महिलाओं की ओवरी कुछ मात्रा में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का भी उत्पादन करती है। पीसीओएस की स्थिति में पुरुष हार्मोन का अधिक मात्रा में उत्पादन होता है, जिस कारण ओव्यूलेशन प्रक्रिया के दौरान अंडाणु बाहर नहीं निकल पाते हैं। इस स्थिति को हाइपरएंड्रोजनिसम कहा जाता है ।
- इंसुलिन : कुछ वैज्ञानिक शोध में इंसुलिन को भी इस बीमारी का एक कारण माना गया है। शरीर में मौजूद इंसुलिन हार्मोन, शुगर, स्टार्च व भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करता है। जब इंसुलिन असंतुलित हो जाता है, तो एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है और ओव्यूलेशन प्रक्रिया प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप महिलाओं को पीसीओएस का सामना करना पड़ता है ।
- खराब जीवनशैली : भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी, अधिक जंक फूड खाने, शारीरिक व्यायाम न करने और शराब व सिगरेट का सेवन करने से भी महिलाओं को यह बीमारी हो सकती है।
डॉ. व्ही. बी.खरे
बी.एस.सी. बी एच एम एस, सी सी एच ,पी जी डी पी सी ,डी एन वाय एस
होम्योपैथिक विशेषज्ञ , मनोवेज्ञानिक सलाहकार एवं प्राकृतिक चिकित्सा सलाहकार